लेखनी प्रतियोगिता -02-Apr-2023 जीवन के दिन


                 जीवन के दिन रीत रहे हैं!!

ताप भानु का अब नित बढ़ता,
भ्रमर कहाँ पुष्पों पर चढ़ता,
बिखरे पल्लव आज मही पर, कल तक वही पुनीत रहे हैं।
                जीवन के दिन रीत रहे हैं!!

सूना-सूना मन का आँगन,
निर्जन दिखता नंदन कानन,
रूठ चुके हैं वो भी मुझसे, साथी! जो मनमीत रहे हैं।
                जीवन के दिन रीत रहे हैं!!

जिन स्वप्नों ने मुझको लूटा,
उनसे अब तक मोह न टूटा,
बोझिल मन को क्या समझाऊँ, कितने पावन गीत रहे हैं।
                जीवन के दिन रीत रहे हैं!!

– – – –ऋषभ दिव्येन्द्र

#प्रतियोगिता हेतु

   16
7 Comments

Renu

03-Apr-2023 04:35 PM

👍👍🌺

Reply

Wooow बहुत ही खूबसूरत रचना

Reply